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IPO क्या हैं।. | आइपीओ में निवेश कैसे करे?: जब भी कोई प्राइवट लिमिटेड कम्पनी Public से पैसे लेना चाहती हैं तो बो सीधे पब्लिक से पैसे नहि ले सकती। उसके लिए उसे स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होना पड़ेगा। इसी प्रॉसेस को IPO कहते हैं।
हम लोगों में से बहुत से लोगों को IPO में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन पता नहि होता कैसे निवेश करे।
Why did the Company Need an IPO?
दोस्तों अगर किसी कम्पनी को ज़्यादा से ज़्यादा पैसों की ज़रूरत हैं तो IPO एक बहुत अच्छा तरीक़ा हैं।
इसमें कम्पनी को जितना भी पैसा चाहिए बो पैसा पब्लिक से मिल जाता हैं।
लेकिन बदले में पब्लिक को उस कम्पनी में हिस्सेदारी मिल जाती हैं जिसे हम share के रूप में देखते हैं।
किसी भी कम्पनी को IPO की कब ज़रूरत पड़ती हैं इसके कुछ कारण हैं ।
1-Expension
किसी भी कम्पनी को अपनी कम्पनी की growth करनी हैं। उसे और ज़्यादा branches या फ़ैक्टरी खोलनी हैं । जिसके लिये काफ़ी पैसे की ज़रूरत होती हैं। उसके पास इतना पैसा नहि होता हैं। तो उसे पब्लिक सहायता लेनी पड़ती हैं क्यों की पब्लिक में काफ़ी निवेशक होते हैं।
2-bad debt
दोसरा एक बड़ा कारण ये भी हो सकता हैं की कम्पनी के कयी सारे लोन चल रहे हो जिसमें ब्याज भी लगता हैं तो उसे चुकाने के लिए IPO एक अच्छा माध्यम हैं इसमें निवेशक को व्याज नहि देना पड़ता।
How to Invest in IPO?
2023 में बहुत से लोग हैं तो IPO में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन प्रॉसेस पता ना होने के कारण निवेश करने से रह जाते हैं,की निवेश कैसे करना हैं,कहा पैसे लगाना हैं,कहा से share मिलेंगे।
तो आपको IPO का पूर्ण प्रॉसेस बताया गया हैं।
IPO Process
1-Hire Investment Bank
जब कोई भी कम्पनी फ़र्स्ट टाइम अपने share पब्लिक को ऑफ़र करती हैं तो उसके लिए उसे एक निबेशक बैंक को hire करना पड़ता हैं जो पब्लिक को लेके आएगी।
कोई भी कम्पनी किसी बैंक को हीरे करने से पहले उसके बारे में कुछ details देखेगी।की उसकी previous Performance कैसी हैं।
2-Legal Procedure Requirements
जब कोई कम्पनी किसी निवेशक बैंक को hire कर लेती हैं तब कुछ लीगल procedure की आवश्यकता पड़ती हैं।
- निवेशक बैंक पब्लिक को IPO offer करती हैं और कम्पनी को जितने पैसे चाहिए होते हैं उसी हिसाब से पब्लिक को IPO देती हैं।
- निवेशक बैंक कम्पनी के लिए IPO की pricing और वैल्यूएशन करती हैं।
- कभी कभी कम्पनी को बहुत ज़्यादा पैसे की ज़रूरत पड़ती हैं। जो एक निवेशक बैंक के द्वारा पूर्ण नहि हो पति हैं। इसके लिए कम्पनी को एक से ज़्यादा निवेशक बैंक को hire करना पड़ता हैं।
3-IPO Price Distribution
जब कम्पनी किसी निवेशक बैंक को hire कर लेती हैं तो निवेशक बैंक की ज़िम्मेदारी होती हैं की कम्पनी को कितने पैसों की ज़रूरत हैं।
उसकी ज़रूरत को पूर्ण करने के लिए उसे कितने share पब्लिक में बाटने हैं उसके Price Distribution करना होता हैं।
इसमें निवेशक बैंक कम्पनी की वैल्यूएशन करती हैं की कम्पनी की कितनी वैल्यू हैं और उसमें से 70% share कम्पनी की निवेशक के पास रहेंगे बाक़ी की 30% share पब्लिक को issue करने हैं।
अब निवेशक बैंक 30% share को कयी छोटे छोटे share में distribute कर देती हैं। और उसकी कुछ price रख देती हैं।
और इसमें एक काम से कम share की साइज़ रख देती हैं जिसे निवेश करना हैं तो उसे उतना share ख़रीदना ही पड़ेगा।
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Type of IPO pricing
1-Fixes Price Issue
निवेशक बैंक कम्पनी के लिए IPO का एक fixed प्राइस issue करती हैं इसमें पब्लिक को इसी price में निवेश करना होता हैं नहि तो ना करे इससे कम्पनी को कोई फ़र्क़ नहि पड़ता हैं।
अगर इस fixed price में कम्पनी ke पास ज़्यादा पैसे आ गये तो प्राइसिंग अच्छी हुयी।
2-Book Building Issue
बुक बिल्डिंग इशू में निवेशक बैंक share की एक flactuate प्राइस रखते हैं जैसे की 80-100.
पब्लिक ओर बड़ी बड़ी कंपनिया इसी प्राइस बैंड में निवेश करती हैं। जब पैसे पर्याप्त हो जाते हैं।
तब प्राइस बैंड का 80-100 के बीच कुछ भी प्राइस रखा जा सकता हैं।
और जो इस प्राइस का ज़्यादा से ज़्यादा difference सिर्फ़ 20% तक का हो सकता हैं।
Distribution Of IPO share
Distribution प्रॉसेस में कम्पनी और निवेशक बैंक मिल कर IPO के share को पब्लिक में बेचते हैं।
इसमें कुछ इन्स्टिटूशनल buyer होते हैं जो कम्पनी share में निवेश करती हैं एसी कम्पनी को टार्गेट किया जाता हैं।
और कुछ HNI(High net Worth Individual) होते हैं जो निवेश करने के लिए तैयार रहते हैं।
और इसके बाद खुदरा निवेश करने बाले होते हैं उसको भी टार्गेट किया जाता हैं की उनकी कम्पनी में निवेश करे।
The Application Process
जब इन्स्टिटूशनल buyer, ज़्यादा पैसे बाले लोग और खुदरा निवेश करने बाले कम्पनी में निवेश करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो इसमें ऐप्लिकेशन डालते हैं ।
कभी कभी जितने share मार्केट में छोड़े हैं पब्लिक को देने के लिए,उससे काफ़ी ज़्यादा ऐप्लिकेशन आ जाती हैं।
तो इस दशा में सभी को कम्पनी के share मिलेंगे इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहि होती हैं।
Share Allotments
जब ऐप्लिकेशन पूर्ण हो जाती हैं। तब share देने की बारी आती हैं।
इसके कोटा चलता हैं। जैसे की जो इन्स्टिटूशनल buyer होते हैं इनका 50% share मिलेंगे,ज़्यादा पैसे बाले लोगों को 15% share का कोटा होता हैं और जो खुदरा निवेश करने बाले होते हैं उनका 35% का कोटा होता हैं।
इसी कोटे के आधार पर share बाटे जाते हैं।
Listing On stock Exchange Under 3-5 days
यह फ़ाइनल स्टेप होता हैं।किसी भी कम्पनी को पब्लिक ऑफ़रिंग के लिए उसे स्टॉक इक्स्चेंज में लिस्टेड होना होता हैं।
जैसे अपने इंडिया में NSE/BSE चल रही हैं तो कम्पनी यहाँ लिस्टेड हो जाएगी 3-5 दिन के अंदर।
- इससे कम्पनी को यह फ़ायदा हैं की उसे पैसे जल्दी मोल जाएँगे।
- जितने जल्दी कम्पनी लिस्टेड हो जाएगी उतने हाई जल्दी लोगों को उनके share मिल जाएगे ।
- अगर ऐप्लिकेशन ज़्यादा आ गयी तो कुछ लोगों को share मिल जाएगे और कुछ लोगों को उनका पैसा वापिस मिल जाएगा।
अक्सर पूछे जाने बाले सवाल
प्रश्न- आइपीओ क्या हैं?
उत्तर– जब कोई कम्पनी पहली बार अपने शेयर को बाज़ार में उतारता हैं (initial public offering) इसे आइपीओ कहते हैं।
प्रश्न- आइपीओ कैसे ले सकते हैं?
उत्तर– अगर आप किसी कम्पनी का ipo ख़रीदना चाहते हैं तो इसके लिये अपने पास एक डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिये। आज के समय में सबसे अच्छा डिमैट अकाउंट अपस्टॉक्स हैं। आप अपस्टॉक्स में खाता कैसे खोल सकते हैं। इसको मैंने विस्तार से बताया हैं।